Diurnal
Tuesday, February 23, 2016
Kuch Bheenche Panne
"वजन रख दू!" ऎसा ख्याल एक आया.
दबा के रख, भींच लु इस महीन सफेदी को.
और जब खुलकर फैले ये,
परिमल की भांति,
फिर तीखी स्याही से भर दू ,
ये सारी सफेदी।
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